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JNU प्रशासन का नया फरमान, अब प्रदर्शन करने पर लगेगा जुर्माना, छात्रों ने किया विरोध।

 18 Dec 2023

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अब अगर कोई छात्र या छात्र संगठन किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन करेंगे, मार्च निकालेंगे, भूख हड़ताल पर बैठेंगे, तो इसे परिसर में अनुशासन भंग करना समझा जाएगा। ऐसी स्थिति में छात्रों के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। छात्रों पर आर्थिक जुर्माना लगाने के साथ ही उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित भी किया जा सकता है। हाल ही में जारी विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फ़रमान को छात्रों ने तुगलकी फ़ैसला बताते हुए कड़ी निंदा की है।


छात्र संगठनों ने शनिवार 16 दिसंबर को इस संदर्भ में आयोजित एक प्रेस वार्ता में विश्वविद्यालय के रवैये को फ़ासीवादी क़रार दिया। छात्रनेताओं ने कहा कि परिसर के आसपास विरोध प्रर्दशन की इजाज़त न देना, न केवल जेएनयू की पचास साल पुरानी विरासत को खत्म करने की कोशिश है बल्कि यह संविधान द्वारा अनुच्छेद 19 के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के भी खिलाफ़ है।

दरअसल, जेएनयू प्रॉक्टर कार्यालय द्वारा परिसर में छात्रों द्वारा अनुशासन संबंधित कुछ नियम जारी किए गए हैं। इसमें तीन श्रेणियों में ऐसे तमाम काम गिनाये गये हैं, जिन्हें करने पर, विश्वविद्यालय प्रशासन, छात्रों के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है। नए नियमों के अनुसार, परिसर के भीतर या आसपास भूख हड़ताल करने, धरना-प्रदर्शन करने या अन्य प्रकार के प्रदर्शन करने पर प्रशासन द्वारा छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसी के साथ 20,000 रुपये तक का जुर्माना और हॉस्टल से निष्कासन जैसी सज़ा का प्रावधान भी किया गया है।

मोलोटिक्स से बात करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आयशी घोष ने कहा कि 'अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाना जेएनयू की खूबसूरती है, सिर्फ़ जेएनयू के छात्रों के साथ ही नहीं, बल्कि देशभर में जब भी सत्ता ने किसी कमज़ोर की आवाज़ को दबाने की कोशिश की, जेएनयू उस व्यक्ति के समर्थन में हमेशा खड़ा हुआ है।’

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वहीं जेएनयूएसयू के संयुक्त सचिव दानिश ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि छात्रों के बीच असहमति, चर्चा और संवाद, हर शिक्षण संस्थान में होना ज़रूरी है। यह छात्रों का मौलिक अधिकार है और जेएनयू इन बातों के लिए देशभर में जाना जाता है। जब भी छात्रों के साथ कुछ गलत होता है, जेएनयू के छात्र उसके खिलाफ़ उठ खड़े होते हैं। लेकिन जेएनयू प्रशासन पिछले कई वर्षों से इस आवाज़ को दबाने का काम कर रहा है। अनुशासन के नाम पर जारी किए गए नए नियम इसका ताज़ा उदाहरण है।

दानिश ने कहा कि हम प्रशासन से यह मांग करते हैं कि इन नए नियमों को वापस लिया जाए। साथ ही जेएनयूएसयू अध्यक्ष समेत कई छात्रों पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए जुर्माना लगाने का आदेश भी वापस लिया जाए।

छात्र संगठनों ने हॉस्टल में पानी की कमी को लेकर किए गये प्रदर्शन में शामिल छात्रों पर जुर्माना लगाए जाने का भी विरोध किया है। प्रदर्शन करने वालें छात्रों के अनुसार, काफ़ी समय से हॉस्टल में पानी की कमी है जिससे छात्रों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों से इसे लेकर कई बार हॉस्टल वार्डन से शिकायत की मगर कोई नतीजा नहीं निकला। परेशान छात्रों ने अंततः इसे लेकर 19 सितंबर 2023 को वीसी आवास के बाहर धरना दिया था। छात्र संगठनों के अनुसार, इस धरने में तकरीबन 500 से ज़्यादा छात्र एकजुट हुए थे। बाद में वीसी द्वारा समस्या को जल्द से जल्द हल करने का आश्वासन दिया गया, जिसके बाद छात्रों ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया था।

छात्रों ने आरोप लगाया कि समस्या हल करने के बजाय प्रशासन ने कई हॉस्टलों के चुने हुए प्रतिनिधियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी। प्रदर्शन में शामिल छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। छात्रों का कहना है कि उन्होंने वीसी आवास के बाहर शांतिपूर्ण तरह से प्रदर्शन किया था और वीसी के आश्वासन के बाद इसे खत्म भी कर दिया था। प्रदर्शन करने के अगले दिन वीसी ने हॉस्टल के प्रतिनिधियों से इस मसले पर बातचीत भी की थी। फ़िर भी प्रदर्शनकारी छात्रों पर प्रॉक्टोरियल इंक्वायारी बैठायी गई और जुर्माना लगाने की कार्रवाई की गई।

नए नियमों के खिलाफ़ जेएनयूएसयू ने आगामी 23 दिसंबर को मार्च निकालने का आह्वान किया है। साथ ही छात्र संगठनों ने जल्द से जल्द छात्र संघ के चुनाव कराये जाने की भी मांग की है।